Monday 10 October 2022

प्रार्थना

 


प्रार्थना

 

हे कृष्ण! 

इस भवसागर में प्रभु मेरी नैया संभाल लेना 

जब भावनाओं का उद्वेग हो तो,

मेरे आंसू संभाल लेना। 

जब क्रोध का सैलाब हो तो

जिव्हा संभाल लेना। 

कामनाओं के वेग को,

लाज से उतार देना। 

मोह में जकड़ा हुआ मैं,

मेरी चेतना संभाल लेना। 

भूलूं कभी जो मैं तुम्हें,

संताप से मेरी स्मृति सुधार देना। 

भय का हो जब अंधेरा तो,

साहस का उपहार देना। 

अहंकार के नशे को प्रभु,

ज्ञान से उतार देना। 

इस भवसागर में प्रभु मेरी नैय्या संभाल लेना।


-रंगोली अवस्थी

पुस्तकालय सूचना अधिकारी

पी. के. केलकर लाइब्रेरी

No comments:

Post a Comment

समय

 समय